सुल्तानपुर की साक्षी ने ढाबे पर मेहनत से पाया आत्मनिर्भर बनना,
शिक्षा के बाद मिली नौकरी ने बदली जिंदगी
सुल्तानपुर की रहने वाली साक्षी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कठिनाइयों के बावजूद आत्मनिर्भर बनने का जो रास्ता चुना, वह प्रेरणादायक है। लोकल 18 से बातचीत में साक्षी बताती हैं कि उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद अपने पैरों पर खड़ा होने का फैसला किया। लखनऊ–वाराणसी हाईवे पर स्थित नंदगांव ढाबे में काम सीखकर अब वह खाना बनाने और परोसने के साथ पूरी टीम के साथ मिलकर काम कर रही हैं। डॉक्टर पल्लवी कौशल और डॉक्टर कौशलेंद्र ने उन्हें प्रशिक्षित किया और हर मुश्किल में साथ दिया। आज साक्षी का काम समाज में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गया है।
किस तरह मिली नौकरी और प्रशिक्षण
साक्षी ने बताया कि उन्होंने काम ढूंढना शुरू किया और उनकी मुलाकात नंदगांव ढाबा संचालिका डॉक्टर पल्लवी कौशल से हुई। डॉक्टर पल्लवी और डॉक्टर कौशलेंद्र के निर्देश और मदद से साक्षी ने ढाबे के आधुनिक तरीके से खाना बनाने और परोसने का प्रशिक्षण लिया। इससे पहले साक्षी को घर पर खाना बनाना आता था, लेकिन यहां उन्हें व्यावसायिक और टीमवर्क के तरीकों की भी ट्रेनिंग दी गई।
परिवार का साथ न होने पर ढाबे ने संभाला
साक्षी का कहना है कि उनके परिवार वालों ने शुरुआत में उनका साथ नहीं दिया। ऐसे में उन्होंने खुद का सहारा ढाबे में काम बनाकर बनाया। ढाबे में काम करते हुए साक्षी ने कई लोगों से मिलना-जुलना शुरू किया और धीरे-धीरे आत्मविश्वास भी बढ़ा। अब वह टीम का भरोसेमंद हिस्सा बन चुकी हैं और लोगों की तारीफें बटोर रही हैं।
डॉक्टर पल्लवी बनी प्रेरणा स्रोत
साक्षी खास कर डॉक्टर पल्लवी कौशल और डॉक्टर कौशलेंद्र का आभार मानती हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों ने हर मुश्किल समय में उनका साथ दिया और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का हौसला दिया। साक्षी बताती हैं कि डॉक्टर पल्लवी उनकी जीवन की प्रेरणा बन चुकी हैं।
टीमवर्क और भविष्य की उम्मीदें
नंदगांव ढाबे में साक्षी अब टीम के साथ मिलकर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उनका अनुभव दिखाता है कि पढ़ाई के बाद सही अवसर और मार्गदर्शन से कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। साक्षी का काम गाँव और शहर की कई महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है।