Sambhal News: संभल में जर्मनी से हथियार कैसे पहुंचे, अमेरिका और पाकिस्तान से जुड़े कनेक्शन,
गजवा-ए-हिंद का बना केंद्र
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले साल नवंबर में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट लीक हो गई है। यह 450 पन्नों की रिपोर्ट सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। इसके अनुसार, संभल में जर्मनी से लाए गए हथियारों के जरिए आतंकी नेटवर्क सक्रिय था, जो गजवा-ए-हिंद के मंसूबे को अंजाम देने की साजिश का हिस्सा था। इसमें हिंदू आबादी को कम कर आतंकिस्तान बनाने और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़ाव का भी जिक्र है। इस खुलासे ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी है।
संभल में आतंकी नेटवर्क और हथियारों की आवाजाही
बता दें कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जर्मनी से आए हथियार अमेरिका और पाकिस्तान के रास्ते संभल पहुंचे। इस नेटवर्क में अलकायदा, हरकत-उल-मुजाहिदीन, तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन शामिल थे। संभल का मौलाना आसिम उमर, जो अलकायदा का कमांडर था और अफगानिस्तान में मारा गया, अमेरिका की टॉप टेन आतंकी सूची में शामिल था। इसके अलावा अहमद रजा उर्फ शाहरुख, मोहम्मद आसिफ और जफर मसूद जैसी स्थानीय आतंकियों की पहचान हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि संभल से पूरे दक्षिण एशिया में आतंक फैलाया जा रहा था, जिसमें ISI का भी कनेक्शन था।
हिंदू आबादी में गिरावट और सामाजिक बदलाव
रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि 1947 में संभल में हिंदू आबादी 45% थी, जो अब घटकर मात्र 15-20% रह गई है। दंगे, लव जिहाद, ब्रेनवॉशिंग और पौराणिक मंदिरों पर कब्जा जैसे मामलों ने स्थिति को और खराब किया। सरकार प्रायोजित दंगों में बच्चियों के साथ दुराचार और हिंदुओं पर मुकदमों की बाढ़ ने समुदाय की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।
सपा नेता जिया उर रहमान बर्क की भूमिका
वहीं रिपोर्ट में सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क और उनके परिवार पर भी आराजकता फैलाने का आरोप लगाया गया है। उनके प्रभाव में कथित तौर पर दंगाइयों को संरक्षण मिला, FIR तक दर्ज नहीं की गई। CAA विरोधी आंदोलनों में छह दिन तक बाजार बंद करवाने जैसे कदम भी उनके प्रभाव को दर्शाते हैं।
आगे की कार्रवाई और सुरक्षा की चिंता
संभल को कल्कि भगवान के आंगन से आतंकिस्तान में बदलने की साजिश उजागर हुई है। छह आतंकियों की पहचान हो चुकी है, जबकि चार संदिग्ध अभी भी लापता हैं। पहली बार योगी सरकार में पुलिस की सख्ती से हिंदुओं की जान बची, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक है। रिपोर्ट लीक होने के बाद सरकार ने इसकी जांच शुरू कर दी है। वन विभाग और पुलिस निगरानी बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों में डर और आक्रोश बना हुआ है। इस खुलासे ने पूरे देश में सुरक्षा और शांति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।