संचार साथी ऐप पर घमासान: सरकार बोली अनिवार्य नहीं,
जब चाहें डिलीट कर दें
8 days ago
Written By: ANIKET PRAJAPATI
देश में संचार साथी ऐप को लेकर मची राजनीतिक बहस के बीच केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह ऐप अनिवार्य नहीं है। विपक्ष ने इसे जासूसी ऐप करार देते हुए नागरिकों की प्राइवेसी पर सवाल उठाए थे। लेकिन सरकार का कहना है कि यह ऐप सिर्फ लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए बनाया गया है और इसे फोन में रखना या हटाना पूरी तरह यूजर की इच्छा पर निर्भर है। 2024 में देश में भारी साइबर फ्रॉड के मामलों के बाद सरकार ने इसे सुरक्षा उपकरण के रूप में जारी किया है। अब इस ऐप को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं।
सरकार का बयान—ऐप रखना या हटाना पूरी तरह यूजर की मर्जी
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि संचार साथी ऐप को किसी के लिए अनिवार्य नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो वह इसे फोन से तुरंत डिलीट कर सकता है। सिंधिया के अनुसार 2024 में भारत में लगभग 22800 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ है। ऐसे में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए यह ऐप जारी किया गया।
विपक्ष मुद्दा ढूंढ रहा है—सिंधिया
सिंधिया ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष हर मुद्दे पर राजनीति करना चाहता है। उन्होंने कहा, “एक तरफ विपक्ष चिल्लाता है कि सरकार फ्रॉड रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही, और जब सरकार कदम उठाती है तो उसे भी गलत बता दिया जाता है। यह करो तो मरो, न करो तो मरो जैसा रवैया है।”
प्रियंका गांधी का आरोप—यह जासूसी ऐप है
दूसरी ओर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इसे जासूसी ऐप बताया। संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐप नागरिकों की निजता पर हमला है। प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया, “सरकार और क्या जानना चाहती है? हर नागरिक को प्राइवेसी का अधिकार है। हम अपने दोस्तों और परिवार को बिना सरकारी निगरानी के संदेश भेज सकें, यह सामान्य और लोकतांत्रिक अधिकार है।”
ऐप पर बहस अभी जारी
एक ओर सरकार इसे सुरक्षा उपाय बता रही है, वहीं विपक्ष इसे निजता के लिए खतरा मान रहा है। संचार साथी ऐप पर बहस आने वाले दिनों में और तेज होने की संभावना है।