सरदार पटेल की जयंती: छात्र जीवन के वो किस्से,
जिन्होंने बनाया ‘लौह पुरुष’
2 months ago Written By: Aniket Prajapati
आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। यह दिन भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में हर साल 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। साल 2014 में केंद्र सरकार ने इस दिन को “राष्ट्रीय एकता दिवस” (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में घोषित किया था। आज जानते हैं, सरदार पटेल के छात्र जीवन के कुछ ऐसे किस्से, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व में दृढ़ता और नेतृत्व की नींव रखी।
क्लास में देर से आने वाले टीचर को सिखाया सबक एक बार वल्लभभाई पटेल 6वीं क्लास में थे। उस दिन टीचर बार-बार लेट हो रहे थे। छात्र ऊब गए, तो वल्लभभाई ने कहा—“क्यों न गाना गा लिया जाए, इससे शोर भी नहीं होगा।” कुछ देर बाद जब टीचर आए तो गुस्से में बोले “किसने कहा गाना गाने को?” वल्लभभाई ने शांत स्वर में जवाब दिया “सर, हमने सोचा गाना गाना, हंगामा करने से बेहतर है।”टीचर ने उन्हें क्लास से बाहर निकाल दिया, लेकिन बाकी छात्रों ने भी वल्लभभाई का साथ दिया और सब बाहर चले गए। जब प्रिंसिपल ने बुलाया, तो पटेल ने कहा “गलती हमारी नहीं, टीचर की है जो रोज देर से आते हैं।” प्रिंसिपल भी उनकी बात से सहमत हुए और सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया।
क्रांतिकारी सोच के कारण बदला स्कूल
बरोड़ा गवर्नमेंट हाई स्कूल में भी वल्लभभाई की निर्भीकता कायम रही। एक बार एलजेब्रा की क्लास में टीचर ने गलत सवाल हल किया। वल्लभ ने कहा“सर, तरीका गलत है।” टीचर बोले“तो तुम आकर हल कर लो और मेरी कुर्सी पर बैठ जाओ।” वल्लभ ने वैसा ही किया—सवाल सही हल किया और टीचर की कुर्सी पर भी बैठ गए। टीचर ने गुस्से में उन्हें प्रिंसिपल के पास भेज दिया। पटेल ने कहा“सर, मैंने तो उनकी आज्ञा का पालन किया है।” हालांकि बार-बार शिकायतों के चलते उन्होंने खुद ही स्कूल छोड़ दिया।
भ्रष्ट टीचर के खिलाफ किया प्रदर्शन नादियाड़ के स्कूल में एक टीचर बच्चों को अपनी दुकान से महंगे दामों में स्टेशनरी खरीदने को मजबूर करते थे।वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और कह “हमें इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।” उन्होंने छात्रों को संगठित किया और क्लासेज का बहिष्कार कर दिया। करीब एक हफ्ते बाद प्रिंसिपल ने कार्रवाई का आश्वासन दिया और अन्याय करने वाला टीचर सुधर गया।
टीचर को जिताने के लिए किया चुनाव प्रचार नादियाड़ में एक बार उनके टीचर चीनूभाई नगर पालिका चुनाव में खड़े हुए। विपक्षी उम्मीदवार ने मजाक उड़ाते हुए कहा—“तुम्हारे पास प्रचार का पैसा भी नहीं है।” वल्लभभाई ने टीचर का साथ देने का निश्चय किया और कहा“हम छात्र प्रचार करेंगे।” उन्होंने पूरे मोहल्ले में घर-घर जाकर वोट मांगे। परिणाम आया टीचरचीनू भाई चुनाव जीत गए। इसके बाद पटेल अपने साथियों के साथ विरोधी उम्मीदवार के घर पहुंचे और मजाक में उसकी मूंछें मुंडवा दीं।
बिना ट्यूशन के हासिल की लॉ की डिग्री वल्लभभाई पटेल बचपन से ही बैरिस्टर बनना चाहते थे, पर आर्थिक स्थिति कमजोर थी। उन्होंने कोचिंग क्लास जॉइन नहीं की और उधार ली गई किताबों से खुद ही पढ़ाई की। वो कोर्ट में वकीलों की बहसें सुनते और नोट्स बनाते। मेहनत रंग लाई—उन्होंने लॉ की परीक्षा पास कर ली। 1910 में 35 साल की उम्र में वो इंग्लैंड गए और 1913 में बैरिस्टर बनकर भारत लौटे।