पत्रकार हत्याकांड: सवालों के घेरे में सीतापुर पुलिस,
शक के आधार पर पूर्व फौजी को 55 दिनों तक कैद में रख किया टॉर्चर, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
1 months ago Written By: विनय सिंह
लखनऊ। सीतापुर में हुए पत्रकार हत्याकांड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। सीतापुर पुलिस पर एक रिटायर्ड फौजी को 55 दिनों तक अवैध तरीके से पुलिस अभिरक्षा कैद कर रखने और टॉर्चर करने का आरोप लगाया गया है। आरोप लगाने वाली रिटायर फौजी की मां ने हाईकोर्ट की शरण ली, तब जाकर मामला सामने आ सका। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रूख अपनाते हुए इस प्रकरण पर सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
हाईकोर्ट के आदेश पर आईजी लखनऊ ने पेश कराया
पीड़ित पूर्व फौजी की मां चंद्रावती कश्यप की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए लखनऊ हाईकोर्ट ने आईजी लखनऊ जोन को आदेश दिया कि रिटायर्ड फौजी विमल कश्यप को अदालत के सामने हर हाल में पेश किया जाए। इस दौरान पूर्व फौजी न्यायालय के समक्ष उपस्थित कराया गया। पूर्व फौजी विमल कश्यप ने सीतापुर पुलिस द्वारा 55 दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखने, मारपीट करने और खाना न देने का आरोप लगाया। फ़ौजी ने ये भी आरोप लगाया कि उसके साथ हुए इस जुल्म की पूरी जानकारी सीतापुर के तत्कालीन एसपी चक्रेश मिश्रा को भी थी।
एसपी और इंस्पेक्टर पर भी लगाया गंभीर आरोप
रिटायर्ड फौजी के मुताबिक उसे कस्टडी में रखकर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा, इंस्पेक्टर विनोद कुमार मिश्रा और अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा लगातार टार्चर किया गया। साथ ही पत्रकार हत्याकांड मामले में फर्जी गुनाह कबूल करने का दबाव बनाया गया। बकौल विमल कश्यप, जब वह बताता था कि वह एक पूर्व सैनिक है, कश्मीर सहित देश की सरहदों की रक्षा की है तो पुलिस अधिकारी इस बात पर और अधिक नाराज होते थे और भला-बुरा कहते थे। पुलिस के इस कृत्य से उसे गहरा आघात पहुंचा है।
हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसपी से दाखिल करवाया व्यक्तिगत हलफनामा
कोर्टरूम में पूर्व फौजी के बयान के बाद हाईकोर्ट ने एसपी चक्रेश मिश्रा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा। चक्रेश मिश्रा ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि पत्रकार हत्याकांड मामले में पूर्व फौजी को 16 मार्च, 17 मार्च, 19 मार्च, 29 मार्च, 01 अप्रैल और फिर 03 अप्रैल 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया था और पूछताछ के बाद प्रत्येक बार परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। एसपी के जवाब को याचिकाकर्ता चंद्रावती देवी ने झूठ करार दिया और कहा कि कभी हमारे बेटे विमल कश्यप को हमारे सुपुर्द नहीं किया है, केवल यह कागजी खानापूर्ति है।
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
इस प्रकरण पर हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को सरकार से प्रकरण को लेकर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है।