हर मिनट में बने 21 शौचालय,
2 अक्टूबर 2014 से भारत में अब तक कुल कितनी हुई इनकी संख्या?
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
नई दिल्ली, 2025: साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इस मिशन का उद्देश्य खुले में शौच की समस्या को खत्म करना, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाना और नागरिकों, खासकर महिलाओं और ग्रामीण गरीबों के सम्मान और स्वास्थ्य को बनाए रखना था। 11 साल के इस मिशन के चलते देश की साफ-सफाई में उल्लेखनीय बदलाव आया है।
ODF की उपलब्धि
फेज-1 के तहत भारत ने 2019 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत स्वच्छता कवरेज हासिल किया। इस दौरान 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय बनाए गए। इसके बाद सभी गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया, जिसे ODF यानी Open Defecation Free कहा जाता है। इससे ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई और स्वास्थ्य सुधार में बड़ा बदलाव आया।
अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार
फेज-2 अप्रैल 2020 में शुरू किया गया। इसमें बेहतर ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) पर ध्यान दिया गया ताकि ODF स्थिति को बनाए रखा जा सके और ODF प्लस मानक हासिल किया जा सके। 17 मार्च, 2025 तक, 5 लाख 86 हजार गांवों में से 5.64 लाख से ज्यादा गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया। इनमें 1 लाख 12 हजार आकांक्षी, 7 हजार 337 राइजिंग और 4 लाख 44 हजार आदर्श गांव शामिल हैं। साथ ही, 5 लाख 3 हजार गांवों ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन लागू किया।
हर मिनट 21 टॉयलेट बने
पिछले 11 साल में 12 करोड़ टॉयलेट बनाए गए। इसके अलावा 2 लाख 53 हजार पब्लिक टॉयलेट भी बनाए गए। गणित के हिसाब से देखा जाए तो हर मिनट 21 टॉयलेट बनते रहे। इस वजह से खुले में शौच की समस्या काफी हद तक खत्म हुई और लोगों के स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार हुआ।
सरकारी खर्च का बंटवारा
घर-घर टॉयलेट बनवाने की योजना में केंद्र और राज्य सरकार दोनों खर्च करते हैं। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में इसका बंटवारा 90:10 है। बाकी राज्यों में केंद्र सरकार 60 फीसदी और राज्य सरकार 40 प्रतिशत खर्च करती है।