तपस्वी छावनी में फिर विवाद, परमहंस आचार्य की हटाई गई सुरक्षा,
आचार्य ने जताया खतरे का अंदेशा
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: तपस्वी छावनी पीठ में एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है। पीठाधीश्वर जगदगुरु परमहंस आचार्य की सुरक्षा में कटौती के बाद मामला और गंभीर हो गया है। उन्होंने अपने ऊपर खतरे की आशंका जताई है। साथ ही उन्होंने तपस्वी छावनी पर कब्जे की कोशिश की बात भी कही है। परमहंस आचार्य ने बताया कि पहले एक व्यक्ति ने मंदिर पर कब्जे की सूचना दी थी। तब इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। लेकिन अचानक ही उनकी सुरक्षा हटा दी गई। इसके बाद उन्हें खतरे का एहसास हुआ। उन्होंने बात करते हुए कहा कि यह काम किसी बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के इशारे पर हो रहा है। इस मामले की जानकारी उन्होंने हनुमानगढ़ी को दी। क्योंकि तपस्वी छावनी में उनके गुरु और खुद उनकी नियुक्ति में हनुमानगढ़ी की अहम भूमिका रही है। सूचना मिलते ही हनुमानगढ़ी के संत हरकत में आ गए।
महंत महेशदास की अगुवाई में संतों की बैठक
दरसअल, हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेमदास के शिष्य महंत महेशदास की अगुवाई में बैठक हुई। उज्जैनिया पट्टी के महंत संत रामदास के आवास पर संतों ने विचार-विमर्श किया। बैठक में संतों ने तपस्वी छावनी पर कब्जे की कोशिश का विरोध किया। सभी संतों ने एकमत होकर परमहंस आचार्य का साथ देने का ऐलान भी किया। साथ ही उन्हें हनुमान जी की प्रतिमा भेंट की गई। हनुमािन जी की इस प्रतिमा को सहयोग का प्रतीक माना गया।
महासचिव नंद रामदास ने परमहंस आचार्य को दिया समर्थन
निर्वाणी अनी अखाड़ा के महासचिव नंद रामदास ने कहा कि वे परमहंस आचार्य के साथ पहले भी थे और अब भी हैं। उन्होंने कहा कि विवाद खड़ा करना कुछ लोगों की आदत बनती जा रही है। उन्होंने आगे कहा की संत समाज ऐसा कभी नहीं होने देगा। महेश दास ने बताया कि पहले भी मंदिर पर कब्जे की कोशिश की जा चुकी है। अब एक बार फिर ऐसा हो रहा है। इस बार पूरा संत समाज एकजुट है। हम तन मन और धन से तपस्वी छावनी को बचाएंगे। अब सभी की निगाहें प्रशासन पर हैं। परमहंस आचार्य को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। संत समाज ने साफ किया है कि वे किसी भी कीमत पर मंदिर पर कब्जा नहीं होने देंगे।