महाकुंभ से उठी दरार, अब किन्नर अखाड़े में बंटवारा,
टीना मां ने बनाया नया ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’
1 months ago
Written By: Aniket Prajapati
प्रयागराज के चर्चित किन्नर अखाड़े में अब दो फाड़ हो गया है। सोमवार को अखाड़े की महामंडलेश्वर और उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने अपने पद से इस्तीफा देकर नया अखाड़ा बनाने की घोषणा कर दी। नए अखाड़े का नाम ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’ रखा गया है। टीना मां ने बताया कि मंगलवार, 4 नवंबर को इसका पट्टाभिषेक होगा।
“किन्नर अखाड़ा अपने रास्ते से भटक गया था” — टीना मां
दैनिक भास्कर से बातचीत में टीना मां ने कहा कि वह अब तक किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर थीं, लेकिन अखाड़ा अपने मूल उद्देश्य से भटक गया। “हमने जिस विचार से यह अखाड़ा बनाया था, वह अब वैसा नहीं रहा। हमारी विचारधारा अब उस दिशा में नहीं मिलती, इसलिए मैंने अलग होकर नया ‘सनातनी किन्नर अखाड़ा’ बनाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि उनका अखाड़ा सनातन धर्म को मजबूत करने और समाज में धार्मिक जागरूकता बढ़ाने के लिए काम करेगा।
“सनातन की रक्षा के लिए जान भी दे देंगे”
टीना मां ने साफ कहा कि उनका उद्देश्य केवल सनातन धर्म को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा, “हम अपने अखाड़े के जरिए धर्म का विस्तार करेंगे। अगर इसके लिए जान की भी आहुति देनी पड़ी, तो पीछे नहीं हटेंगे।”
महाकुंभ से शुरू हुआ था विवाद
प्रयागराज के सेक्टर 16 में स्थित किन्नर अखाड़ा महाकुंभ के दौरान सुर्खियों में था। आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी इसकी अगुवाई कर रही थीं। तभी से टीना मां और लक्ष्मी नारायण के बीच मतभेद शुरू हो गए थे, जो अब खुलकर सामने आ गए हैं।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने से नाराजगी
विवाद की शुरुआत तब हुई जब किन्नर अखाड़े ने बॉलिवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दी। कई पदाधिकारी इस फैसले से सहमत नहीं थे। नए सनातनी किन्नर अखाड़े की सदस्य भवानी मां ने कहा, “ममता कुलकर्णी का नाम देशद्रोही दाऊद से जुड़ा हुआ है। ऐसे लोगों को धर्म से जोड़ना अस्वीकार्य है।”
टीना मां की धार्मिक यात्रा और पहचान
टीना मां को 2019 के कुंभ मेले में पीठाधीश्वर बनाया गया था और 2021 में महामंडलेश्वर की उपाधि मिली। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की मेंबर हैं। उन्होंने कहा, “मैं आज 40 किन्नर बच्चों की अभिभावक हूं। उनके आधार कार्ड पर मेरा नाम लिखा है। मैं ही उनकी मां और पिता दोनों हूं।”
2015 में हुई थी किन्नर अखाड़े की स्थापना
किन्नर अखाड़े की स्थापना 2015 में डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने की थी। यह अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा से जुड़ा है। 2019 के अर्धकुंभ से लेकर 2025 के महाकुंभ तक यह कई विवादों और चर्चाओं में रहा — कभी ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने को लेकर, तो कभी हिमांगी सखी के बयानों से।
टीना मां का जीवन संघर्ष
टीना मां का जन्म देहरादून के विकास नगर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता पंडित टेकनारायण शर्मा सेना में थे। छह महीने की उम्र में ही उन्हें गुरु सलमा को सौंप दिया गया। टीना मां बताती हैं, “किन्नर होने की वजह से मेरे माता-पिता को समाज के डर से मुझे खुद से दूर करना पड़ा। लेकिन मेरे गुरु ने मुझे मां और पिता दोनों का स्नेह दिया।”