H-1B वीजा पर ट्रंप का नया प्रहार, अब सैलरी-स्किल बनेगी कसौटी,
भारतीय प्रोफेशनल्स की US एंट्री पर खतरा
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
USA H-1B Visa News: डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही अमेरिका की सत्ता दोबारा संभाली है, लगातार कड़े और चौंकाने वाले फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। पहले उन्होंने टैरिफ वॉर छेड़कर दुनियाभर में हलचल मचा दी और अब उनकी नजरें सीधे H-1B वीजा कार्यक्रम पर टिक गई हैं। बीते दिनों ट्रंप सरकार ने इस वीजा पर 1 लाख डॉलर (करीब 1 करोड़ रुपये) की फीस लगाने का ऐलान किया, जिसे बाद में संशोधित कर केवल नए आवेदकों तक सीमित किया गया। लेकिन अब प्रशासन और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। सरकार ने वीजा चयन प्रक्रिया में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत अब यह रेंडम लॉटरी के बजाय आवेदकों के कौशल स्तर और ऑफर की गई सैलरी के आधार पर तय किया जाएगा।
वेतन और स्किल लेवल पर होगा वीजा चयन नए प्रस्ताव के मुताबिक, अमेरिकी श्रम विभाग प्रत्येक उम्मीदवार को चार अलग-अलग वेतन स्तरों में वर्गीकृत करेगा। उच्चतम वेतन स्तर वाले उम्मीदवारों को चयन पूल में चार बार शामिल किया जाएगा, जबकि न्यूनतम स्तर वालों को सिर्फ एक बार मौका मिलेगा। यानी ज्यादा वेतन और बेहतर स्किल वाले उम्मीदवारों के चयन की संभावना अधिक होगी। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इससे अमेरिकी कर्मचारियों को सुरक्षित रखा जा सकेगा और वीजा का गलत इस्तेमाल रोका जाएगा।
दुरुपयोग रोकने के लिए प्रोजेक्ट फायरवॉल अमेरिकी श्रम विभाग ने H-1B कार्यक्रम के दुरुपयोग को रोकने के लिए ‘प्रोजेक्ट फायरवॉल’ शुरू किया है। पहली बार, श्रम मामलों के मंत्री व्यक्तिगत रूप से वीजा उल्लंघनों की जांच को प्रमाणित करेंगे। यदि किसी कंपनी को दोषी पाया गया तो उसे कुछ समय तक H-1B वीजा का उपयोग करने से रोक दिया जाएगा।
नए ग्रैजुएट्स के लिए खतरे की घंटी कमर्शियल ग्रुप्स का मानना है कि यह वेतन-आधारित सिस्टम अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से हाल ही में स्नातक हुए युवाओं के लिए नौकरी के अवसर खत्म कर सकता है। उनका कहना है कि वेतन स्तर को कौशल का पैमाना मानना गलत है, क्योंकि शुरुआती करियर वाले प्रोफेशनल्स का वेतन स्वाभाविक रूप से कम होता है।
$100,000 फीस और कानूनी चुनौती पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने नई H-1B याचिकाओं पर 1 लाख डॉलर शुल्क लगाने का ऐलान किया, जो 21 सितंबर से लागू हो गया। हालांकि यह केवल नए आवेदनों पर लागू होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस फैसले और नई चयन प्रक्रिया दोनों को अदालत में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि H-1B कार्यक्रम हर साल सिर्फ 85,000 नए स्लॉट तक सीमित है, जबकि उच्च शिक्षा और शोध संस्थान इस सीमा से बाहर रहते हैं। कानूनी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट का उल्लंघन हो सकता है, जिसमें वीजा आवंटन को आवेदन प्राप्त होने के क्रम से तय करने का नियम है।