IAS अभिषेक प्रकाश निलंबन मामला,
कुछ तो है.....जिसकी परदेदारी है
17 days ago
Written By: विनय के. सिंह
लखनऊ. बे-खुदी, बे-सबब नहीं गालिब, कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है। गालिब का यह कथन निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश के प्रकरण में कमोबेश फिट बैठता दिख रहा है। यूपी इन्वेस्ट कार्यालय में इस प्रोजेक्ट के आवेदन से लेकर अभिषेक प्रकाश के निलंबन तक की अवधि के बीच बैठकों एवं पत्रावलियों का गौर से अध्ययन किया जाए तो पता चलता है कि कार्रवाई के पीछे कुछ तो छिपाया जा रहा है।
अगर कुछ छिपाने लायक नहीं है तो इस मामले में मूल्यांकन समिति के सभी अधिकारी दोषी हैं अन्यथा अभिषेक भी निर्दोष नजर आते हैं। हालांकि यूपी न्यूज नेटवर्क किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का दावा नहीं कर रहा है। सक्षम एजेंसियां जांच कर रही हैं जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देंगी।
आखिर पर्दे के पीछे का राज क्या है, इसे गौर से समझते हैं
पहले डेट वाइज मूल्यांकन कमेटी की बैठकों में क्या हुआ ये जानते हैं,
-03 मार्च 2024 को एसएईएल सोलर पी-6 प्राइवेट लिमिटेड (उद्यमी संस्था) के चेयरमैन विश्वजीत दत्ता ने गौतमबुद्धनगर जिले में 200 एकड़ जमीन पर सोलर प्लांट लगाने के लिए इनवेस्ट यूपी कार्यालय में आवेदन किया।
-29 जनवरी 2025 को यूपी इन्वेस्ट की ओर से यीडा को 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के लिए (पत्रांक संख्या 1698/आईयूपी/एसकेएस 2024-25) पत्र लिखा गया।
-11 दिसंबर 2024 को यूपी इन्वेस्ट इस प्रकरण पर पहली बार क्वैरी की थी। क्वैरी में बताया गया कि स्टांप ड्यूटी का कास्ट नहीं बताया गया है।
-इन्वेस्ट यूपी की दूसरी क्वैरी यह थी कि डीपीआर और प्लांट मशीनरी कास्ट 5588 करोड़ कैसे है, यह नहीं बताया गया है। (डीपीआर में यह स्पष्ट नहीं था कि प्रस्तावित जमीन के कितने हिस्से में मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगेगी और कितने हिस्से में सोलर प्लांट लगाया जाएगा)
-जीएसटी नंबर विजिट लोकेशन का चाहिए था, लेकिन नंबर कहीं और का था।
मूल्यांकन कमेटी की 15वीं बैठक में क्या हुआ
मूल्यांकन कमेटी की 15वीं बैठक में ही सोलर कंपनी का प्रकरण प्रस्तावित किया गया था। 16वीं और 17वीं बैठक में भी उद्यमी कंपनी से जुड़े कार्यक्रमों की चर्चा हुई थी। 17वीं बैठक (19 मार्च 2025) के दूसरे दिन ही आईएएस अभिषेक प्रकाश पर एफआईआर दर्ज किया गया था।
- 24 फरवरी 2025 को इन्वेस्ट यूपी कार्यालय में 15वीं मुल्यांकन समिति की बैठक संपन्न हुई। इसी बैठक में उद्यमी संस्था के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए निर्णय लिया गया कि केस-टू-केस बेसिस पर इस संस्था के प्रस्ताव का मूल्यांकन किया जाएगा। बैठक में विभाग के समस्त अधिकारी उपस्थित थे।
-24 फरवरी 2025 को यीडा ने एसीईओ को पत्र लिखकर अवगत कराया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रचलित होने के साथ ही दर शासन द्वारा तय करने की कार्रवाई की जा रही है। संबंधित किसानों द्वारा आपसी सहमति के आधार पर आगामी दो महीने में क्रय कर जमीन उपलब्ध करा दी जाएगी। यीडा 30 अप्रैल 2025 तक कंपनी को जमीन उपलब्ध करा देगी।
16वीं बैठक में अभिषेक प्रकाश के साथ मौजूद थे सारे अधिकारी
12 मार्च 2025 को मूल्यांकन समिति की 16वीं बैठक हुई, जिसमें आईएएस अभिषेक प्रकाश के साथ-साथ उक्त सभी अधिकारी मौजूद थे।
इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई पहले इसे समझते हैं
1. यूपीपीसीएल से विद्युत ड्यूटी एग्जम्शन एवं इससे संबंधित सूचना के अभाव में सब्सिडी का मूल्यांकन किया जाना संभव नहीं है।
2. उद्यमी संस्था द्वारा मांगे गए 200 एकड़ भूमि में परियोजना के तीन कंपोनेंट थे। उद्यमी संस्था द्वारा कंपोनेंट वाइज डीपीआर का प्रमाणिक विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया था, जिसके कारण इसे आप्जेक्शन के साथ होल्ड कर दिया गया। इसके अलावा यूपीपीसीएल द्वारा भी अपने पक्ष का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था, जिसका अनुस्मारक 17 मार्च 2025 को जारी किया गया साथ ही यीडा को भी इस उद्यमी संस्था के आवंटन के संबंध के जवाब में अनुस्मारक जारी किया गया था।
दोनों सरकारी विभागों द्वारा एवं उद्यमी संस्था द्वारा भी आवश्यक जानकारी न देने की स्थिति में मूल्यांकन समिति द्वारा केस टू केस सब्सिडी की गणना नहीं की जा सकी। इस कारण से इसे एचएलईसी (हाईपावर कमेटी) में रखने की संस्तुति नहीं दी गई।
3. एक कंपोनेंट सोलर प्लांट के व्यवस्थापन का था चूंकि लैंड सब्सिडी मैनुफैक्चरिंग यूनिट नहीं होने के कारण अनुमन्य नहीं है। इस पर विचार किया गया। इसके लिए संस्था से व्यवस्थित एवं प्रमाणित डीपीआर भी मांगी गई।
4. कंपनी ने यह भी स्वीकार किया कि 31 दिसंबर 2026 तक कामर्शियल प्रोडक्शन शुरू करा देंगे।
चार दिन होली की छुट्टी के कारण नहीं हुई बैठक
13 मार्च 2025 से 16 मार्च 2025 तक होली के कारण छुट्टी थी, इसलिए मूल्यांकन कमेटी की कोई बैठक नहीं हो सकी।
मूल्यांकन कमेटी की 17वीं बैठक के बाद शुरू हुआ शह मात का खेल
मूल्यांकन कमेटी की 17वीं बैठक 19 मार्च को हुई। इस बैठक के बाद ही विवाद हुआ। आपको सिलसिलेवार ढंग से ये पूरा घटनाक्रम समझाते हैं।
1. मूल्यांकन कमेटी की पहली बैठक का कार्यवृत्त जारी किया गया। कार्यवृत्ति में लिखा गया कि as discussed it has been edited. यानि जैसा कि चर्चा की गई है इसे एडिट किया गया है।
2. 19 मार्च को जारी कार्यवृत्त में उल्लेख: "The committee recommended that this application to be put up before evaluation committee again...यानि समिति ने सिफारिश की कि इस आवेदन को पुनः मूल्यांकन समिति के सामने रखा जाए।
3. 20 मार्च को विश्वजीत दत्ता ने आईएएस अभिषेक प्रकाश के खिलाफ परियोजना के सापेक्ष पांच फीसदी रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया।
अब वो पांच सवाल जिनका जवाब ढूंढना सबसे जरूरी है...
1. यदि मूल्यांकन समिति सामूहिक रूप से निर्णय ले रही थी, तो सिर्फ एक अधिकारी दोषी कैसे हुआ?

2. 'as discussed, it has been edited' के मायने आखिरकार क्या निकले गए?

3. जब समिति ने 19 मार्च को साफ़ तौर पर आवेदन को दोबारा समीक्षा हेतु रखने की संस्तुति दी, तो 20 मार्च को FIR दर्ज कराने की जल्दबाजी क्यों हुई?
4. मूल्यांकन कमेटी के समक्ष एक साथ 10 कंपनियों के प्रस्ताओं पर चर्चा चल रही थी, बाकी कंपनियों ने आरोप क्यों नहीं लगाया।
5 . UPPCL और YEIDA की जवाबदेही क्यों नहीं तय हुई, जिनके जवाब ससमय न मिलने पर प्रक्रिया बाधित हुई थी?

मूल्यांकन कमेटी इन 10 कंपनियों के प्रस्ताओं पर एक साथ चर्चा कर रही थी
1. Technoplast Packaging Private Limited (टेक्नोप्लास्ट पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड)
2. Sael Solar P6 Private Limited (सील सोलर प्राइवेट लिमिटेड)
3. United Breweries Limited (यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड)
4. Shree Jee Impex (श्री जी इम्पेक्स)
5. Ambashakti Industries Ltd (अम्बाशक्ति इंडस्ट्रीज लिमिटेड)
6. Dalmia Bharat Sugar And Industries Limited (डालमिया भारत सुगर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड)
7. Kajaria Ceramics Ltd. (काजरिया सेरामिक्स लिमिटेड)
8. Greenko (ग्रीनको)
9. Kandhaura Pumped Storage Project (JSW Energy) (जेएसडब्ल्यू एनर्जी)
10. Avaada Waterbattery Private Limited (अवादा वाटरबैटरी प्राइवेट लिमिटेड)