प्रयागराज जोन में मदरसों की बड़ी जांच शुरू,
दिल्ली ब्लास्ट की कड़ी से ATS अलर्ट
1 months ago Written By: अनिकेत प्रजापति
दिल्ली में हुए हालिया विस्फोट की जांच के दौरान फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कुछ डॉक्टरों का नाम सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) पूरी तरह अलर्ट हो गई है। ATS को आशंका है कि कहीं राज्य में ऐसी किसी नई संदिग्ध गतिविधि या संस्थान के जरिए कट्टरपंथ फैलाने की कोशिश न हो। इसी कारण प्रयागराज जोन के सभी मदरसों की गहन जांच तेजी से शुरू कर दी गई है। ATS ने क्षेत्र के सभी मदरसों से छात्रों, शिक्षकों और प्रबंधन से जुड़ी हर विस्तृत जानकारी मांगी है, ताकि किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर समय रहते रोक लगाई जा सके।
मदरसों से पूरी डिटेल मांगी गई
ATS की प्रयागराज यूनिट ने जोन के सात जिलों प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, फतेहपुर, चित्रकूट, बांदा और हमीरपुर-महोबा के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को पत्र भेजकर सभी मदरसों की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। पत्र में छात्रों के नाम, पिता का नाम, पूरा पता और मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से भेजने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा मौलवियों और मदरसा प्रबंधकों का भी पूरा विवरण मांगा गया है।
प्रयागराज जिले का डेटा सबसे पहले भेजा गया
प्रयागराज के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कृष्ण मुरारी पांडेय ने जिले का पूरा रिकॉर्ड सबसे पहले ATS को सौंप दिया। प्रयागराज में कुल 206 मदरसे चल रहे हैं। इनमें 43 अनुदानित मदरसे हैं, जहाँ 620 शिक्षक पढ़ाते हैं और 11,378 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। वहीं 169 मान्यता प्राप्त मदरसों में 854 शिक्षक कार्यरत हैं और 14,551 छात्र-छात्राएं दीनी शिक्षा ले रहे हैं। कई मदरसों में बड़ी संख्या में लड़कियां भी पढ़ती हैं। डेटा प्राप्त होने के बाद ATS ने फील्ड स्तर पर जांच और तेज कर दी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
ATS अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए की जा रही है। दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े इनपुट में संदिग्ध नाम सामने आने के बाद राज्य के किसी भी हिस्से में संभावित आतंकी गतिविधि की जांच आवश्यक हो गई है। अन्य जिलों से भी रिपोर्ट जल्द ATS मुख्यालय भेजी जाएगी, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में फील्ड वेरिफिकेशन शुरू होगा। देश में आतंकी मॉड्यूल को लेकर बढ़ी सतर्कता के बीच प्रयागराज जोन में मदरसों की यह जांच सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।