नोएडा में पटाखे जलाने की कर रहे हैं तैयारी, तो जान लें पुलिस का ये नया आदेश,
वरना भरना पड़ सकता है 1 लाख का जुर्माना
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर हर साल खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, खासकर सर्दियों और दिवाली के समय। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य के आठ जिलों – गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, शामली और मुजफ्फरनगर में पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। उल्लंघन करने वालों के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत पांच साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है। यह कदम दिल्ली-एनसीआर की हवा को स्वच्छ बनाने और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है।
किन जिलों में लागू हुआ बैन
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध दिल्ली से सटे आठ प्रमुख जिलों में लागू होगा। इन जिलों में पटाखों की फैक्ट्रियां बंद की जाएंगी और दुकानदारों को भी पटाखे बेचने की अनुमति नहीं होगी। साथ ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए पटाखे ऑर्डर करना भी पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। इसका उद्देश्य त्योहारों के दौरान वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
प्रदूषण पर लगाम लगाने की कोशिश
दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर तक बढ़ जाता है। धान की पराली जलाना, औद्योगिक प्रदूषण और पटाखों से निकलने वाला धुआं इसे और भी खतरनाक बना देता है। दिवाली के बाद लोगों को सांस लेने में मुश्किल होती है और अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इस स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया और यूपी सरकार ने तुरंत आठ जिलों में पटाखों पर पूरी तरह रोक लगा दी।
त्योहारों की रौनक पर असर
स्थानीय लोगों में इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ लोग मानते हैं कि त्योहारों की असली खुशी पटाखों में होती है और इससे दिवाली की रौनक फीकी पड़ जाएगी। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञ इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा तोहफा मान रहे हैं क्योंकि स्वच्छ हवा हर नागरिक का अधिकार है।
विकल्प के तौर पर ग्रीन पटाखे
इस बीच ग्रीन पटाखों को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बाजार में कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखे उपलब्ध हों, तो लोग उन्हें अपनाकर त्योहार की खुशियाँ बना सकते हैं और प्रदूषण भी कम रहेगा।