यूपी में कांग्रेस-सपा गठबंधन में खटास,
राहुल गांधी और अखिलेश यादव की कमान पर बहस
1 months ago
Written By: अनिकेत प्रजापति
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से इंडिया गठबंधन के दो बड़े घटक दलों- कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा)- के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। गठबंधन की कमान को लेकर शुरू हुई खींचतान ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। सपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से अखिलेश यादव को गठबंधन का नेतृत्व देने की मांग उठने के बाद कांग्रेस ने कड़ा जवाब दिया है। इस विवाद ने यूपी की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सपा नेताओं ने उठाया कमान का मुद्दा
सपा के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता रविदास मेहरोत्रा ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को इंडिया गठबंधन की कमान सौंपी जानी चाहिए। उनका तर्क था कि यूपी में सपा का प्रदर्शन मजबूत रहा है और इस आधार पर गठबंधन में उनकी भूमिका अहम होनी चाहिए।
कांग्रेस का पलटवार
सपा के बयान के तुरंत बाद कांग्रेस के सांसद और फायरब्रांड नेता इमरान मसूद ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव पहले उत्तर प्रदेश को संभाल लें। राहुल गांधी का कोई विकल्प नहीं है और न ही उनके सामने कोई मुकाबला कर सकता है।” मसूद ने सलाह दी कि गठबंधन की कमान का सवाल अभी जल्दीबाजी है और 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर पूरी तरह फोकस करना चाहिए।
गठबंधन के अंदर खटास
दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी ने गठबंधन में असंतोष और खटास को उजागर किया है। सपा बिहार चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर बता रही है, जबकि कांग्रेस राहुल गांधी की लोकप्रियता और उनके ‘भारत जोड़ो’ यात्राओं को गठबंधन का सबसे बड़ा हथियार मान रही है।
सीट शेयरिंग और रणनीति में मतभेद
सूत्रों के अनुसार, 2024 लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा-कांग्रेस की सीट-शेयरिंग सफल रही थी। लेकिन 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे और रणनीति पर मतभेद शुरू हो गए हैं। सपा के एक नेता ने कहा कि “अखिलेश यादव यूपी में सबसे बड़े क्षत्रप हैं, इसलिए गठबंधन में उनकी भूमिका अहम होनी चाहिए।” वहीं कांग्रेस का कहना है कि “राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी ही चेहरा हैं, प्रादेशिक दलों को इसका सम्मान करना चाहिए।”
2027 के लिए गठबंधन की राह होगी चुनौतीपूर्ण
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह खटपट बढ़ती रही तो 2027 में यूपी में सपा-कांग्रेस की जुगलबंदी बरकरार रहना मुश्किल हो सकता है। दोनों दलों के बीच विश्वास की कमी और अहम का टकराव गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। फिलहाल शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।