बिजली उपभोक्ताओं हो जाएं सावधान सितंबर में भरना पड़ सकता है आपको दुगुना बिल,
जान लें इसकी असली वजह
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को सितंबर महीने में ज्यादा बिल चुकाना होगा। बिजली विभाग ने जून माह का ईंधन अधिभार शुल्क (FCA) सितंबर के बिल में जोड़ने का निर्णय लिया है। इसकी दर 2.34 फीसदी तय की गई है। इस बढ़ोतरी से राज्यभर के उपभोक्ताओं पर कुल 184.41 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। आम उपभोक्ता से लेकर उद्योगों तक, सभी पर इसका असर दिखाई देगा।
मई और जून के अधिभार में फर्क
बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ईंधन अधिभार शुल्क हर माह की बिजली खपत के अनुसार अगले महीनों में जोड़ा जाता है। मई माह का अधिभार अगस्त के बिल में शामिल किया गया था, जो केवल 0.24 फीसदी था। लेकिन जून का अधिभार काफी ज्यादा तय हुआ है। इसी वजह से उपभोक्ताओं को सितंबर के बिल में सीधा असर महसूस होगा और बिल की राशि बढ़ जाएगी।
क्यों वसूला जा रहा है अतिरिक्त शुल्क
ईंधन अधिभार दरअसल बिजली उत्पादन में हुए अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए लिया जाता है। जब कोयला, गैस और अन्य ईंधन की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। इसका बोझ सीधे उपभोक्ताओं पर डाला जाता है। जून महीने में उत्पादन की लागत अधिक आई, इसलिए अब 2.34 फीसदी का अधिभार वसूला जा रहा है।
उपभोक्ता परिषद ने जताई नाराजगी
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस बढ़ोतरी पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि निगमों के पास उपभोक्ताओं की 33,122 करोड़ रुपये की सरप्लस रकम पहले से पड़ी है। इस रकम को समायोजित किया जाए तो उपभोक्ताओं से अतिरिक्त अधिभार लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। परिषद का मानना है कि इस सरप्लस का उपयोग कर लोगों को राहत दी जा सकती है और धीरे-धीरे सरप्लस भी कम हो जाएगा।
परिवार और उद्योग दोनों पर असर
सितंबर में बढ़े हुए बिजली बिल का असर हर वर्ग पर पड़ेगा। छोटे और मध्यम परिवारों के लिए जहां घर का बजट बिगड़ जाएगा, वहीं उद्योगों की उत्पादन लागत और ज्यादा बढ़ेगी। उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकार को तुरंत ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे आम जनता और उद्योग दोनों को राहत मिल सके।