यूपी में चकबंदी प्रक्रिया के नए नियम, अब 75% किसानों की लिखित सहमति के बाद ही होगी शुरुआत
जानें पूरी बात
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में चकबंदी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब किसी भी राजस्व ग्राम में चकबंदी तभी शुरू होगी, जब उस गांव के 75 प्रतिशत खाताधारक यानी किसान अपनी लिखित सहमति देंगे। सरकार का मानना है कि इस कदम से किसानों की भागीदारी सुनिश्चित होगी और विवादों की संभावना भी कम होगी। इस संबंध में मुख्यालय स्तर से सभी जिलाधिकारियों को निर्देश भेज दिए गए हैं। नया नियम पुराने प्रावधान को बदल देगा, जिसमें केवल ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत के सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव ही पर्याप्त माना जाता था।
नया नियम और उसका उद्देश्य नए नियम के तहत अब चकबंदी शुरू करने के लिए ग्राम पंचायत का प्रस्ताव तो जरूरी होगा ही, साथ ही गांव के 75 प्रतिशत खाताधारकों की लिखित सहमति भी अनिवार्य होगी। सरकार का कहना है कि यह बदलाव किसानों की इच्छा और सहमति को प्राथमिकता देने के लिए किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि चकबंदी गांव के अधिकांश किसानों की इच्छा के अनुसार ही हो और बाद में किसी तरह का विवाद खड़ा न हो।
पुरानी व्यवस्था में विवादों की गुंजाइश पहले चकबंदी की प्रक्रिया ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव पर आधारित होती थी। कई बार यह शिकायतें आईं कि किसानों की राय लिए बिना ही चकबंदी शुरू कर दी गई, जिससे गांवों में असंतोष और विवाद की स्थिति बन जाती थी।
क्यों जरूरी था बदलाव चकबंदी का उद्देश्य किसानों की बिखरी हुई जमीनों को एक जगह समेटना है, ताकि खेती आसान हो और जमीन का बेहतर इस्तेमाल हो सके। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई बार असहमति पैदा होती रही। नए नियम से सरकार चाहती है कि किसानों के बीच सामूहिक सहमति बने और प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो।
जिलाधिकारियों को निर्देश और किसानों में जागरूकता राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि चकबंदी शुरू करने से पहले 75 प्रतिशत किसानों की लिखित सहमति सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही गांवों में जागरूकता अभियान चलाने और किसानों को चकबंदी के फायदे बताने पर जोर दिया गया है। सरकार ने यह भी कहा है कि सहमति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए और इसमें किसी तरह का दबाव या अनुचित प्रभाव न हो।
किसानों का भरोसा बढ़ाने की कोशिश कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम से किसानों का भरोसा मजबूत होगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। हालांकि, इसके लिए गांव स्तर पर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि छोटे और सीमांत किसान भी इस फैसले को समझें और इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो सकें।