UP स्कूलों में खत्म हुई पिटाई की परंपरा, अब शिक्षक मारपीट या मुर्गा बनाने पर जाएंगे जेल
जानें पूरी बात
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बड़ी खबर आई है। अब किसी भी सरकारी या निजी विद्यालय में शिक्षक विद्यार्थियों को शारीरिक या मानसिक दंड नहीं दे सकेंगे। मारपीट करके पढ़ाना, मुर्गा बनाना या एकांतवास में खड़ा करके सजा देना अब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी किया है। इस फैसले का मकसद बच्चों को स्कूल में सुरक्षित, सम्मानजनक और भयमुक्त माहौल देना है।
किसी भी तरह की पिटाई या मानसिक कष्ट पर रोक
नई व्यवस्था के तहत अगर कोई शिक्षक किसी छात्र को मारता है या मानसिक रूप से परेशान करता है, तो बच्चा खुलकर इसका विरोध कर सकता है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने राज्य के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को इस नियम के सख्त अनुपालन के निर्देश दिए हैं।
शिकायत के लिए सुरक्षित माहौल
वहीं आदेश में कहा गया है कि विद्यालयों, छात्रावासों और बाल संरक्षण गृहों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जहां विद्यार्थी बिना डर के अपनी बात रख सकें। अभिभावक-शिक्षक समितियां नियमित रूप से बच्चों की शिकायतों की समीक्षा करें। जरूरत पड़ने पर स्वयं सहायता समूहों की मदद भी ली जा सकती है। साथ ही, शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून का पालन हर हाल में कराया जाएगा।
भेदभाव और छोटी-छोटी सजा पर भी रोक
अब बच्चों को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई गलत व्यवहार या भेदभाव सहना नहीं पड़ेगा। यहां तक कि चिकोटी लेना, थप्पड़ मारना, घुटनों के बल बैठाना या छड़ी-पटरी से मारना भी प्रतिबंधित है।
शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर
इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए स्कूलों के मुख्य द्वार पर एक टोल फ्री नंबर प्रदर्शित किया जाएगा। अभिभावक और बच्चे इस नि:शुल्क नंबर 1800-889-3277 पर शिकायत दर्ज करा सकेंगे। इन शिकायतों की नियमित निगरानी होगी और दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी।