योगी सरकार तोड़ेगी 25 साल पुराने जर्जर मकान,
अब हर शहर में दिखेंगी हाईराइज बिल्डिंग्स
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों की तस्वीर अब तेजी से बदलने जा रही है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज और गोरखपुर जैसे शहरों में वर्षों से खस्ताहाल पड़ी जर्जर और खतरनाक इमारतें जल्द ही इतिहास बन सकती हैं। योगी सरकार पहली बार एक व्यापक शहरी पुनर्विकास नीति लागू करने की तैयारी कर रही है, जिसमें 25 साल से पुराने खतरनाक भवनों को तोड़कर उनकी जगह आधुनिक हाईराइज इमारतें बनाने की अनुमति दी जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे न केवल शहर सुरक्षित होंगे बल्कि लोगों को नए और बेहतर घर भी उपलब्ध होंगे। नीति में मंजूरी प्रक्रिया को तेज करने और शुल्कों में बड़ी राहत देने की भी तैयारी है।
पुराने भवनों की जगह आधुनिक हाईराइज निर्माण का रास्ता तैयार आवास विभाग के अनुसार, जहां पुराने और जर्जर भवन मौजूद हैं, उन्हीं जमीनों पर नया निर्माण प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि उस क्षेत्र का सही उपयोग हो सके। नई नीति में इन जमीनों पर आवास, दुकानों और कार्यालयों जैसे मिश्रित उपयोग की भी अनुमति दी जा सकती है। इससे मध्यम और निम्न वर्ग के लिए नए आवास के अवसर बढ़ेंगे और शहरों का ढांचा भी आधुनिक होगा। महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ऐसी नीतियों से काफी सकारात्मक परिणाम मिले हैं।
बंद कारखानों की जमीन पर भी बनेंगी मल्टी-स्टोरी इमारतें
तीन साल से बंद या बीमार घोषित हो चुके कारखानों की जमीन पर भी नई इमारतें बनाने की अनुमति दी जाएगी। शहरों के भीतर फंसे ऐसे उद्योगों को बाहर शिफ्ट किया जाएगा और उनकी जगह मल्टी-स्टोरी रिहायशी और वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे, जिससे शहरी जगह का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
गुजरात–मध्यप्रदेश मॉडल पर चलेगा यूपी
गुजरात में को-ऑपरेटिव सोसाइटी के पुनर्विकास के लिए अलग नीति लागू है, जिससे हजारों पुरानी सोसाइटियों का कायाकल्प हुआ। यूपी भी उसी मॉडल पर आगे बढ़ रहा है। योगी सरकार का मानना है कि इससे शहर सुंदर और सुरक्षित बनेंगे और आम लोगों को किफायती घर भी मिल सकेंगे। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही इस नीति को लागू कर दिया जाएगा।
25 साल से पुराने भवन ही होंगे शामिल
नई नीति के अनुसार, केवल 25 वर्ष से अधिक पुराने भवन ही पुनर्विकास की श्रेणी में आएंगे। साथ ही, स्ट्रक्चरल ऑडिट अनिवार्य होगा। केवल वही भवन दुबारा बनाए जा सकेंगे जिन्हें रिपोर्ट में असुरक्षित या जर्जर घोषित किया जाएगा। छोटे व्यक्तिगत मकान या एकल इमारतें इस योजना के दायरे में नहीं होंगी। लीज पर दी गई जमीन पर भी पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं होगी।
पुनर्विकास परियोजनाओं को मिलेगी शुल्कों में बड़ी छूट सरकार विकास शुल्क में लगभग 50% तक राहत देने की तैयारी में है, ताकि डेवलपर और लोग दोनों पुनर्विकास के लिए आगे आएं। जमीन के उपयोग में बदलाव करने पर 25% छूट और प्रभाव शुल्क में भी 25% राहत देने का प्रस्ताव है। सरकार का मानना है कि इन रियायतों से शहरों में तेजी से बड़े पैमाने पर पुनर्विकास संभव हो सकेगा।