सीएम योगी की सूझबूझ से 180 करोड़ का प्रोजेक्ट सिर्फ 22 करोड़ में हुआ पूरा,
किसानों में खुशी की लहर, जानें क्या है सीएम का एल्गिन फार्मूला
1 months ago
Written By: उज्जवल सोमवंशी
प्रदेश में इस बार मानसून का असर अलग दिखा। जहां एक ओर पहाड़ी और मैदानी जिलों में भारी बारिश से कई जगह बाढ़ की स्थिति बनी, वहीं लखीमपुर खीरी, सीतापुर, पीलीभीत और बाराबंकी जैसे दर्जनभर जिलों में बाढ़ का प्रकोप न के बराबर रहा। वजह रही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच और प्रशासनिक कुशलता। लखीमपुर खीरी के पलिया क्षेत्र में शारदा नहर पर वर्षों से मिट्टी का बांध बनाने की कवायद चल रही थी, लेकिन सीएम योगी ने कुछ ही मिनटों की समीक्षा में यह तय कर दिया कि मिट्टी का बांध टिकाऊ नहीं होगा और असली समाधान है नहर की डेजिंग। सीएम के इसी फैसले से 180 करोड़ का प्रोजेक्ट घटकर 22 करोड़ में सिमट गया और किसानों को जमीन गंवाए बिना राहत मिल गई।
नेपाल के पानी से प्रभावित होते थे 12 जिले
वहीं हर साल नेपाल से छोड़े गए पानी से शारदा नहर विकराल रूप ले लेती थी और 12 जिलों में बाढ़ की चपेट आ जाती थी। अकेले पलिया और निघासन क्षेत्र में ढाई लाख लोग और करीब 10 हजार हेक्टेयर खेत प्रभावित होते थे। अधिकारियों ने मिट्टी का बांध बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसके लिए 200 किसानों से 40 हेक्टेयर जमीन लेनी पड़ती और लागत 180 करोड़ से ज्यादा आती। किसान जमीन देने को तैयार नहीं थे, इसलिए समस्या वर्षों से जस की तस बनी रही। इस बीच सीएम योगी ने सवाल उठाया कि तेज बहाव में मिट्टी का बांध आखिर कब तक टिकेगा। जब अधिकारियों के पास ठोस जवाब नहीं था, तो उन्होंने खुद समाधान सुझाया कि नहर के उस 7.5 किमी क्षेत्र में डेजिंग कराई जाए जहां हर साल पानी फैलता है।
CM की पहल से सामान्य हुए हालात
जिसके बाद सीएम के निर्देश पर डेजिंग शुरू हुई और नतीजा सामने आ गया। इस वक्त शारदा नहर में करीब 4 लाख क्यूसेक पानी बह रहा है, लेकिन 12 जिलों में हालात सामान्य हैं। नहर गहरी होने से पानी अब अपने नियंत्रित प्रवाह में बह रहा है और सीधे सरयू में जाकर मिल रहा है। इस फैसले से न केवल गांवों और किसानों की जमीन सुरक्षित रही बल्कि 16 गांव और हजारों हेक्टेयर खेतों को भी बाढ़ के संकट से मुक्ति मिली। किसानों की फसल, घर, पशुधन और जीवनयापन सब सुरक्षित हो गए।
ग्रामीणों में खुशी की लहर
वहीं लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के मुताबिक सीएम की पहल के बाद ग्रामीणों में खुशी की लहर है। लोगों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है जब बिना जमीन छीने इतनी बड़ी राहत दी गई। यह कदम केवल तकनीकी समाधान ही नहीं बल्कि जनकल्याण और ग्रामीण विकास की दिशा में भी प्रेरक उदाहरण है। दरअसल, यह कोई पहला मौका नहीं है जब सीएम योगी ने करोड़ों की बचत कर स्थायी समाधान निकाला हो। 2017 में सरयू नदी के एल्गिन ब्रिज क्षेत्र में भी हर साल 115 करोड़ के ठेके दिए जाते थे, लेकिन सीएम योगी ने वहां भी डेजिंग कराई और काम मात्र 5 करोड़ में हो गया। न सिर्फ क्षेत्र बाढ़ से बचा बल्कि सरकारी खजाने को भी बड़ा फायदा हुआ।
क्या है एल्गिन का फार्मूला ?
जिसका नतीजा यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूरदर्शिता और व्यवहारिक समझ से साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति हो तो जटिल से जटिल समस्या का सरल, सस्ता और स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। बाढ़ से राहत, किसानों को फायदा और सरकारी खजाने की बचत यही है असली ‘एल्गिन का फार्मूला’।