यूपी में GST अधिकारियों की ऐसी लूट, समझ नहीं आया कहां खर्च करें पैसा?
फिर खेला असली खेल
21 days ago Written By: Aniket
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में स्टेट जीएसटी के करीब 50 अधिकारियों के अरबों रुपये की नामी-बेनामी जमीन खरीदने के मामले में जांच तेज हो गई है। शुरुआती जांच में 200 करोड़ रुपये से अधिक की जमीन खरीद के दस्तावेज मिले हैं। अधिकांश रकम मोहनलालगंज तहसील में एक चर्चित बिल्डर के जरिए खपाई गई है। अब तक 11 अधिकारियों के नामों का खुलासा हुआ है, जो करोड़ों की जमीन खरीद में शामिल थे। जानिए क्या है,पूरा मामला...
बिल्डर के माध्यम से निवेश
अवध के एक जिले के बिल्डर के जरिए अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपये की जमीन खरीद का मामला शासन तक पहुंचा था। वहीं प्रारंभिक जांच में शिकायतें सही पाई गईं, जिसके बाद रजिस्ट्री कार्यालय से पंजीकरण प्रपत्रों की कॉपी लेकर जांच के आदेश जारी किए गए। बताया गया कि अधिकांश रकम मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड की जमीनों में निवेश की गई।
सचल दल और एसआईबी में तैनात अधिकारी शामिल
जांच में पता चला कि इस घोटाले में शामिल अधिकांश अधिकारी सचल दल और एसआईबी (विशेष जांच विंग) में वर्तमान या पूर्व में तैनात रहे हैं। इनमें गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और गौतमबुद्धनगर जैसे जिलों में मलाईदार पदों पर तैनात अफसर शामिल हैं। जिनके नाम जमीन के कागजात में आए हैं, उनकी तैनाती सहारनपुर, लखनऊ, आजमगढ़, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर, कानपुर सहित 10 जिलों में थी। ये अधिकारी सहायक आयुक्त, उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और अपर आयुक्त स्तर के पदों पर थे।
कोरोना काल में अफसरों के लिए बना कुबेर काल
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2020 के बाद कोरोना काल में विभागीय अफसरों का कार्यकाल तीन से पांच साल तक एक ही जगह पर रहा। इस दौरान अधिकारियों के पास इतनी रकम आई कि उसे खर्च करना या खपाना मुश्किल हो गया। यही कारण था कि बिल्डर के जरिए यह रकम मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड की जमीन में निवेश कराई गई।
बिल्डर का करीबी रिश्ता और विभाग में पैठ
सूत्रों ने बताया कि यह बिल्डर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का करीबी रिश्तेदार है। इसके जरिए उसने विभाग में पैठ बनाई और दूसरे अधिकारियों के लिए भी जमीन में निवेश का ऑफर दिया। यही वजह है कि बड़ी संख्या में अफसर इस घोटाले में शामिल हो पाए।