अब विमानों को उड़ने की शक्ति देगा यूपी का ईंधन,
कृषि अपशिष्ट से बनेगा एयर फ्यूल
7 days ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए एक नई और अनोखी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अब गन्ने की खोई, धान की भूसी और गेहूं के भूसे से बायो जेट फ्यूल (सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल या SAF) बनाया जाएगा। यह ईंधन हवाई जहाजों में प्रयोग किया जाएगा और पेट्रोल-डीजल के मुकाबले अधिक पर्यावरण अनुकूल होगा।
उच्चस्तरीय बैठक और नीति की प्रस्तुति
इस विषय पर इन्वेस्ट यूपी द्वारा लखनऊ के होटल ताज में एक उच्चस्तरीय गोलमेज बैठक आयोजित की गई। बैठक में “यूपी सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल विनिर्माण प्रोत्साहन नीति-2025” को पेश किया गया। इसकी अध्यक्षता मुख्य अब सचिव मनोज कुमार सिंह ने की। इस बैठक में कई उद्योगपतियों, निवेशकों और नीति विशेषज्ञों ने भाग लिया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। अधिकारियों ने बताया कि यह नीति देश की पहली ऐसी नीति होगी।
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
मुख्य सचिव ने जानकारी दी कि, इस नीति के लागू होने से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। गन्ने की खोई, भूसी और भूसा जैसे कृषि अपशिष्ट अब सीधे उद्योगों द्वारा किसानों से खरीदे जाएंगे। इससे किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
3000 करोड़ रुपये का संभावित निवेश
इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरण आनंद ने बताया कि इस बैठक में जमीन की उपलब्धता, नीति निर्माण और व्यापार की सुविधा जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। निवेशकों के सुझाव भी प्रस्तावित नीति में जोड़े जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत करीब 3000 करोड़ रुपये का निवेश उत्तर प्रदेश में आने की संभावना है।
बड़ी कंपनियों की रुचि
बैठक में ग्रीनको, एएम ग्रीन्स, ई20 ग्रीनफ्यूल्स, न्यू एरा क्लीन टेक, मालब्रोस ग्रुप समेत 18 से अधिक कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में SAF उत्पादन इकाइयां लगाने में रुचि दिखाई है। यूपी की मजबूत कनेक्टिविटी — हवाई, रेल और सड़क — निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
पर्यावरण भी होगा सुरक्षित
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल देश में करोड़ों टन कृषि अपशिष्ट बेकार चला जाता है या जला दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। अब यह योजना उन अपशिष्टों को किसानों के लिए कमाई का जरिया बनाएगी। इस तरह यह योजना न केवल किसानों की जेब भरेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगी। सरकार का कहना है कि यह पहल “हरित भविष्य” की दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम है।