वाराणसी के दुर्गाकुंड में इमामबाड़ा विवाद गहराया, कागजात न होने से बढ़ी मुश्किलें,
बुलडोजर कार्रवाई की चर्चाएं तेज
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में स्थित शिया इमामबाड़ा को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। नगर निगम की ओर से मुस्लिम पक्ष को मालिकाना हक साबित करने के लिए दिए गए तीन दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई वैध कागजात पेश नहीं किए गए हैं। इस बीच स्थानीय लोगों ने इमामबाड़ा के दावे को पूरी तरह नकारते हुए नगर निगम के पक्ष का समर्थन किया है। इसी कारण क्षेत्र में माहौल गर्म हो गया है और चर्चाएं हो रही हैं कि क्या इस इमामबाड़े पर बुलडोजर चल सकता है।
नगर निगम का दावा
नगर निगम का कहना है कि दुर्गाकुंड क्षेत्र की आराजी संख्या 2435 पर 240 वर्ग मीटर जमीन निगम के रिकॉर्ड में दर्ज है। इस जमीन पर अवैध तरीके से इमामबाड़ा बनाया गया है। इसी सिलसिले में निगम ने मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी कर तीन दिन में वैध दस्तावेज पेश करने को कहा था। समयसीमा खत्म होने के बाद भी कोई ठोस सबूत नहीं दिए गए, जिससे निगम का पक्ष और मजबूत हो गया है। बता दें कि निगम ने जब इस जमीन की बैरिकेडिंग शुरू की, तो स्थानीय लोगों और इमामबाड़ा से जुड़े व्यक्तियों के बीच तीखी बहस भी हुई।
स्थानीय लोगों का पक्ष
दुर्गाकुंड के निवासियों का कहना है कि जिस स्थान पर इमामबाड़ा बनाया गया है, वहां पहले केवल एक कुआं हुआ करता था। एक बुजुर्ग महिला, जो वर्षों से वहीं चाय की दुकान चलाती हैं, उन्होंने बताया कि पहले यात्री उस कुएं पर रुकते थे। धीरे-धीरे वहां ताजिया रखा जाने लगा, फिर चबूतरा बना और समय के साथ पूरा क्षेत्र इमामबाड़ा में बदल गया। अन्य लोगों ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि निगम का दावा सही है और जमीन पर कब्जा किया गया है।
मुस्लिम पक्ष का तर्क
इमामबाड़ा से जुड़े मुतवल्ली का कहना है कि यह जमीन वक्फ संपत्ति है और उनके पास इसके दस्तावेज मौजूद हैं। हालांकि, नगर निगम ने उन दस्तावेजों को पर्याप्त नहीं माना और जांच में इसे अवैध कब्जा बताया। मुतवल्ली ने प्रशासन से और समय की मांग की है, लेकिन निगम की सख्ती और स्थानीय विरोध के चलते उनका पक्ष कमजोर नजर आ रहा है।
विवाद का असर
दरअसल, यह मामला वाराणसी जैसे संवेदनशील शहर में बड़ा मुद्दा बन गया है। यहां धार्मिक स्थलों को लेकर पहले से कई विवाद चर्चा में रहते हैं। अब इमामबाड़ा विवाद ने भी सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय गलियों तक हलचल पैदा कर दी है। कुछ लोग इसे अवैध कब्जे के खिलाफ सही कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक आधार पर कार्रवाई कहकर विरोध कर रहे हैं।