काशी बनी आस्था, संस्कृति और एकता का संगम: उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन बोले – धर्म पर संकट आ सकता है,
पर विजय हमेशा धर्म की ही होती है
1 months ago Written By: ANIKET PRAJAPATI
वाराणसी एक बार फिर आस्था और संस्कृति के अद्भुत संगम की साक्षी बनी। शुक्रवार को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में श्री काशी नाटकोट्टाई संस्था की नई धर्मशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा – “धर्म को कुछ समय के लिए संकट हो सकता है, लेकिन वह कभी स्थायी नहीं होता। आज धर्म की विजय हुई है, और यह इमारत उसी की साक्षी है।”
धर्मशाला बनी आस्था और सेवा का प्रतीक श्री काशी नाटकोट्टाई संस्था ने 60 करोड़ रुपए की लागत से इस आधुनिक धर्मशाला भवन का निर्माण कराया है। उद्घाटन समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह भवन सिर्फ ईंट-पत्थर की संरचना नहीं, बल्कि धर्म, सेवा और संस्कृति के समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा – “जहां नाटकोट्टाई समूह सक्रिय होता है, वहां सेवा, धर्म और प्रगति साथ-साथ चलते हैं।”
काशी ने बदला जीवन, कहा – मांसाहारी से शाकाहारी बन गया राधाकृष्णन ने काशी से अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को याद करते हुए कहा, “25 साल पहले जब मैं पहली बार काशी आया था, तब मांसाहारी था। गंगा स्नान के बाद मेरे जीवन में इतना परिवर्तन आया कि मैंने शाकाहार अपना लिया।” उन्होंने कहा कि 25 साल पहले की काशी और आज की काशी में जमीन-आसमान का फर्क है, जो केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से संभव हुआ है।
उत्तर और दक्षिण का सांस्कृतिक संगम उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह धर्मशाला उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक बंधन का नया अध्याय है। उन्होंने कहा कि तमिल पंडित, कवि और भक्त सदियों से ज्ञान की खोज में काशी आते रहे हैं। “तमिल पंडित, कंवर गुरु, महाकवि सुब्रमण्य भारती — सभी काशी में बसे और इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़े। अब यह भवन उस परंपरा को और मजबूत करेगा।”
काशी की पवित्रता और तमिलों से गहरा रिश्ता उन्होंने कहा कि काशी की पवित्रता का कोई मुकाबला नहीं। यहां के 72 हजार मंदिर, हर कण में भगवान शिव की उपस्थिति और हवा में गूंजता “ओम नमः शिवाय” का मंत्र काशी की पहचान है। उन्होंने बताया कि 1863 में तमिलनाडु के भक्तों की सुविधा के लिए नाटकोट्टाई संस्था की स्थापना हुई थी और आज भी वही भावना कायम है। “यह समुदाय देने में विश्वास रखता है, लेने में नहीं। चाहे सिंगापुर हो, बर्मा या काशी — यह जहां जाता है, अपनी सेवा की छाप छोड़ता है।”
योगी और मोदी के नेतृत्व में काशी का आध्यात्मिक पुनर्जागरण राधाकृष्णन ने अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति की वापसी और काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में काशी का आध्यात्मिक पुनर्जागरण हो रहा है। उन्होंने कहा, “आज हर ओर ‘हर हर महादेव’ और ‘गंगा मैया की जय’ की गूंज सुनाई दे रही है।”
हरित ऊर्जा से सुसज्जित आधुनिक धर्मशाला उपराष्ट्रपति ने बताया कि धर्मशाला में 76 सोलर लैंप लगाए गए हैं, जिन पर 1.5 करोड़ रुपये खर्च हुए। इससे सालाना लगभग 25 लाख रुपये की ऊर्जा की बचत होगी। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल श्रद्धालुओं की सेवा के लिए है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देती है।
धर्मशाला में 140 कमरे, 10 मंजिला भवन राधाकृष्णन ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा, “वाराणसी की पवित्र भूमि पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ श्री काशी नाटकोट्टाई नगर क्षत्रम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा निर्मित धर्मशाला का उद्घाटन करते हुए खुशी हो रही है।” यह 10 मंजिला, 140 कमरों वाली इमारत संस्था द्वारा काशी में बनाई गई दूसरी सुविधा है।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतीक उन्होंने कहा, “इस धर्मशाला का मकसद आने वाले भक्तों की सेवा करना और युवा पीढ़ी को इस पवित्र शहर की ओर प्रेरित करना है। यह भवन काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक रिश्ते को फिर से जीवित कर रहा है। यह एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना का प्रतीक है।”