15 दिन में शुरू होगा काम, 222 करोड़ की लागत से जुड़ेगा KGP और यमुना एक्सप्रेसवे,
योगी सरकार ने दी थी मंजूरी
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: यमुना एक्सप्रेसवे को ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (केजीपी) से जोड़ने के लिए लंबे समय से चर्चा में रहा इंटरचेंज प्रोजेक्ट अब हकीकत बनने जा रहा है। इसकी लागत 222 करोड़ रुपये तय की गई है और अगले 15 दिनों के भीतर निर्माण कार्य शुरू होने की तैयारी है। एनएचएआई (NHAI) ने इस प्रोजेक्ट के लिए एनसीआर ईपी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का चयन किया है और वर्क ऑर्डर जारी कर दिया गया है। यह इंटरचेंज यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट से 10 किलोमीटर दूर जगनपुर और अफजलपुर के पास बनाया जाएगा।
जमीन अधिग्रहण और सरकारी मंजूरी पूरी
यमुना प्राधिकरण ने इस इंटरचेंज का प्रस्ताव पिछले साल बोर्ड से पास करने के बाद एनएचएआई को जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद अप्रैल 2025 में प्रदेश सरकार की कैबिनेट में संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस प्रोजेक्ट के लिए 60 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण भी पूरा हो चुका है। अब निर्माण कार्य अगले महीने से शुरू होगा और इसे वर्ष 2026 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
यात्रियों को मिलेगा सीधा कनेक्शन
अभी तक केजीपी और यमुना एक्सप्रेसवे के बीच कोई सीधा लिंक नहीं था। इस कारण आगरा जाने वाले वाहन चालकों को 15 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता था और परी चौक व कासना के जाम का सामना करना पड़ता था। फिलहाल केवल सिरसा के पास एक इंटरचेंज है। लेकिन नया इंटरचेंज बनने से यह परेशानी खत्म हो जाएगी।
आठ लूप और 11 किलोमीटर लंबा इंटरचेंज
इंटरचेंज पर कुल आठ लूप बनाए जाएंगे, जिनकी लंबाई 11 किलोमीटर होगी। इनमें चार लूप ऊपर चढ़ने और चार लूप नीचे उतरने के लिए होंगे। इससे वाहनों को बिना रुकावट के चढ़ने-उतरने की सुविधा मिलेगी और जाम से मुक्ति मिलेगी।
गाजियाबाद, हापुड़ और मेरठ के लोगों को राहत
इंटरचेंज बन जाने से गाजियाबाद, हापुड़ और मेरठ के लोग आगरा जाने के लिए सीधे यमुना एक्सप्रेसवे पर चढ़ सकेंगे। उन्हें अब ग्रेटर नोएडा परी चौक तक नहीं जाना पड़ेगा। इसी तरह, मथुरा और आगरा से आने वाले लोगों को भी ईस्टर्न पेरिफेरल पर चढ़ने के लिए 20 किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना होगा। इससे ईंधन और समय दोनों की बचत होगी।
पहले रुक गया था प्रोजेक्ट
यह इंटरचेंज बनाने का काम पहले भी 2023 में शुरू हुआ था। उस समय निजी ठेकेदार को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी और तत्कालीन मुख्य सचिव ने शिलान्यास भी किया था। लेकिन कुछ ही समय बाद विकासकर्ता कंपनी ने मिट्टी के काम पर 22 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च बताकर प्रोजेक्ट रोक दिया था। इस वजह से काम अटक गया था। अब दोबारा काम शुरू होने जा रहा है और उम्मीद है कि यह लंबे समय से अटके इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा कर लिया जाएगा।