जानें जिगाना पिस्टल का राज…
रविंद्र-अरुण के पास क्यों थी और अतीक अहमद की हत्या में कैसे हुई इस्तेमाल
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: बरेली में बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी के पैतृक घर पर हुई फायरिंग मामले में यूपी और हरियाणा STF ने रविंद्र और अरुण को एनकाउंटर में मार गिराया। मारे गए बदमाशों के पास तुर्की की जिगाना पिस्टल बरामद हुई। यह पिस्टल अपराधियों की सबसे पसंदीदा हथियारों में से एक है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग के सदस्य भी इसे इस्तेमाल करते हैं। अतीक अहमद और उनके भाई की हत्या में भी इसी पिस्टल का इस्तेमाल हुआ था।
जिगाना पिस्टल की विशेषताएं जिगाना पिस्टल तुर्की की कंपनी गिरसान (Girsan) द्वारा निर्मित अर्ध-स्वचालित हथियार है। यह 9mm पैराबेलम कारतूस पर काम करती है और PX-9 एवं K सीरीज में उपलब्ध है। इसकी 15 राउंड की मैगजीन, स्मूथ फायरिंग और लो रिसॉइल इसे अपराधियों के लिए आदर्श बनाती है। इसकी कॉम्पैक्ट साइज और सटीक निशाना इसे शहरी माहौल में छिपकर इस्तेमाल करने लायक बनाते हैं।
भारत में अवैध और तस्करी से आता हथियार जिगाना पिस्टल भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन यह तुर्की और पाकिस्तान से तस्करी करके लाई जाती है। इसके अंडरवर्ल्ड में फर्स्ट कॉपी की कीमत 5-10 लाख रुपये तक होती है, जबकि ओरिजिनल की कीमत 10-12 लाख रुपए है। अवैध लोकल फैक्ट्री में बनाई गई नकली पिस्टलें भी बाजार में मौजूद हैं।
गैंगस्टर्स क्यों पसंद करते हैं जिगाना गैंगस्टर्स इसे हल्का, सटीक और घातक मानते हैं। कम रिसॉइल के कारण लंबी दूरी से निशाना लगाना आसान होता है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग इसे परफेक्ट किलर टूल कहता है। इसका इस्तेमाल अतीक अशरफ और महाराष्ट्र नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में भी हुआ था।
सप्लाई नेटवर्क और रोकथाम जिगाना पिस्टल की सप्लाई तुर्की और पाकिस्तान के रास्ते होती है। नेपाल और बांग्लादेश बॉर्डर के जरिए इसे भारत में लाया जाता है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अवैध कारखानों में नकली पिस्टल बनाई जाती हैं। हथियार तस्कर सलीम उर्फ पिस्टल की गिरफ्तारी ने गैंगस्टर-आतंकी नेटवर्क को झटका दिया है, लेकिन तस्करी का सिलसिला जारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सख्त बॉर्डर कंट्रोल और इंटेलिजेंस शेयरिंग से ही इसे रोका जा सकता है।