संभल में नगर पालिका परिसर में सालार गाजी की मजार पर प्रशासन की सख्ती,
3 दिन में कागजात पेश करने का अल्टीमेटम
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: संभल में सरकारी जमीनों पर बने अवैध धार्मिक स्थलों को लेकर प्रशासन की कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में अब नगर पालिका परिषद कार्यालय परिसर में बनी सैयद सालार मसूद गाजी से जुड़ी मजार पर भी प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। राजस्व विभाग ने मजार प्रबंधन से तीन दिन के भीतर संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। प्रशासन का कहना है कि यह जगह नगर पालिका परिषद की संपत्ति है, जबकि मजार से जुड़े लोगों का दावा है कि यह मजार करीब 1000 साल पुरानी है और इतने पुराने कागजात उपलब्ध कराना संभव नहीं है।
पहले ही हटाए जा चुके चार धार्मिक स्थल
उत्तर प्रदेश में अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई पूरे प्रदेश में चल रही है, लेकिन संभल में यह अभियान और तेजी से चल रहा है। अब तक यहां चार धार्मिक स्थलों को सरकारी भूमि से हटाया जा चुका है। दो कब्रिस्तानों पर भी प्रशासन कार्रवाई कर चुका है। चंदौसी में जब सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद पर कार्रवाई हुई तो मस्जिद कमेटी ने खुद ही मस्जिद ढहाकर जमीन खाली कर दी। इसी तरह बहजोई में हाईवे किनारे बना मंदिर प्रशासन ने हटवा दिया। हयातनगर की मस्जिद और मदरसे का अतिक्रमित हिस्सा गिरा दिया गया, जबकि पास की मजार को कमेटी ने तीस फीट पीछे शिफ्ट कर दिया। ऐंचोड़ा कंबोह में कल्कि धाम से सटी मस्जिद को भी कमेटी ने स्वयं तोड़कर जमीन खाली की। अब परिषद परिसर की मजार को लेकर कार्रवाई शुरू हो गई है।
तीन दिन में दस्तावेज दिखाने के निर्देश
शिकायत के बाद प्रशासन ने जांच की तो पाया गया कि नगर पालिका परिषद की भूमि पर अवैध रूप से यह मजार बनाई गई है। तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने राजस्व विभाग की टीम के साथ स्थल का निरीक्षण किया और मजार प्रबंधन को तीन दिन का समय दिया। आदेश दिया गया है कि यदि उनके पास वैध दस्तावेज हों तो पेश करें, अन्यथा मजार को स्वयं ही हटाना होगा। नगर पालिका की रिपोर्ट में भी इस जमीन पर किसी धार्मिक स्थल का जिक्र नहीं है।
नेजा मेला कमेटी का विरोध
मजार पर कार्रवाई को लेकर नेजा मेला कमेटी ने कड़ा विरोध जताया है। कमेटी के अध्यक्ष शाहिद हुसैन मसूदी का कहना है कि यह मजार हजारों साल पुरानी है और इतने पुराने दस्तावेज लाना संभव नहीं है। उनका दावा है कि नगर पालिका बनने से बहुत पहले यह मजार नहर किनारे मौजूद थी और यहां की गंगा-जमुनी तहजीब में हिंदू-मुस्लिम दोनों की आस्था इससे जुड़ी हुई है। मसूदी ने कहा कि यदि इसे गिराया गया तो गलत संदेश जाएगा और इसे शहादत के तौर पर देखा जाएगा।
ये भी पढ़ें... वाराणसी के दुर्गाकुंड में इमामबाड़ा विवाद गहराया, कागजात न होने से बढ़ी मुश्किलें, बुलडोजर कार्रवाई की चर्चाएं तेज
कार्रवाई लगभग तय
हालांकि प्रशासन की ओर से अभी आधिकारिक तौर पर कोई बड़ा बयान नहीं आया है, लेकिन संभल में जिस तेजी से अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई हो रही है, उससे साफ संकेत मिलते हैं कि नगर पालिका परिषद की जमीन पर बनी इस मजार पर भी कार्रवाई लगभग तय है।